Tuesday, January 11, 2011

फल की चिंता

कुछ महीनों से अपनी ट्रेनिंग में यूँ उलझी की...लिखने से ज्यादा समय पढने में जाता है...ज़िन्दगी में आपको क्या करना है इसका निर्णय पहले कर लेना बेहतर होता है या खुद को ज़िन्दगी के हवाले कर देना...नहीं जानती,लेकिन जहाँ तक मेरा सवाल है मैंने खुद को हमेशा ज़िन्दगी के हवाले किया...इससे फायदा ये होता है कि क्या करना है? इस बात की टेंशन नहीं लेनी पड़ती...लेकिन जो मिला है उसे स्वीकार करना भी पड़ता है...काम केवल इतना रह जाता है कि जो मिला है उसे ही सर माथे लगाकर आगे बढ़ने की कोशिश जारी रखनी होती है....और आपने ये काम जितनी अच्छी तरह किया...उतना ही अच्छा फल भी मिलता है...

वैसे भले ही श्री कृष्ण ने गीता में कहा हो कि कर्म किये जाओ फल की चिंता मत करो....हमने कभी इस बात को सीरियसली नहीं लिया...हम तो हमेशा फल की चिंता करके ही कर्म करते हैं...कई बार अपने बड़ों से ही सुनने मिलता है.."आज मेहनत करोगे..तो कल अच्छा काम करोगे और खूब कमाओगे"....मतलब हमारी आज की मेहनत भी कल के फल के बारे में सोच कर ही होती है...और ये फल...काफी महंगे हो गए हैं...चाहे मेहनत के हों या पेड़ों के...महंगाई के ज़माने में हर चीजों की कीमतें बढ़ रहीं हैं ...केवल हमारी मेहनत और भारतीय मुद्रा को छोड़कर...

फिर भी हम किस्मत के पेड़ को मेहनत से सींच रहे हैं...शायद फल मीठे लगें...और हमारी मेहनत भी रंग लाये...बस इस नए साल में तो यही कामना है...इस बढती महंगाई में हमारी मेहनत की कीमत घटेगी....सोचा ना था....

3 comments:

  1. नेहा जी,
    नमस्ते!
    इन्श'अल्लाह!
    आशीष
    ---
    हमहूँ छोड़ के सारी दुनिया पागल!!!

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  2. सचमुच मेहनत की भी कीमत घट रही है
    बढिया पोस्ट, धन्यवाद

    प्रणाम स्वीकार करें

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