Friday, August 26, 2016

कृष्ण बनने की चाह

कृष्ण आज क्षमा माँगते हैं हर उस माँ से,जिसका बच्चा कृष्ण बनने की ठानकर घर से निकलता है..और बनना चाहता है सिर्फ़ माखनचोर..करना चाहता है रासलीला..हरना चाहता है गोपियों के वस्त्र..तोड़ना चाहता है राह चलती गोपियों की मटकियाँ..बनाना चाहता है हर राधा को अपनी..पर नहीं मोहना चाहता बाँसुरी की मीठी तान से..नहीं करना चाहता सबसे प्रेम से बातें..नहीं करना चाहता लोगों की रक्षा..नहीं उठाना चाहता गोवर्धन का भार,कुरीति को मिटाने के लिए..नहीं करना चाहता कंस का विनाश..नहीं करना चाहता अन्याय का विरोध..नहीं करना चाहता भरी सभा में स्त्री के मान की रक्षा..नहीं जानता वचन के लिए मुस्कुराकर सौ अपराध क्षमा करना किसी के..नहीं छोड़ना चाहता पकवान,प्रेम से परोसे सादे भोजन के लिए..नहीं होना चाहता सत्य के साथ..नहीं अपनाना चाहता गीताज्ञान..नहीं फूंकना चाहता पांचजन्य..नहीं स्वीकारना चाहता अपनी ग़लतियों को सर झुकाकर..नहीं लेना जानता किसी माँ के शाप को मुस्कुराकर..माँ तो फिर भी देवकी-यशोदा बन जाती है बिना जाने..पर क्या उसका बच्चा कृष्ण बन पाता है?

कल कृष्ण के जन्म पर ना जाने क्यों ये ख़्याल आया..पहले तो कभी ऐसा...सोचा ना था....